पहाड़ी और हिंदी भाषा में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है पहाड़ी बोलना और सीखना बहुत ही आसान है देखा जाये तो दूसरी भाषाओ ( हिंदी , इंग्लिश , पंजाबी ) की तरह ये स्कूल में नहीं सिखाई जाती पहाड़ी भाषा विरासत में अपनी फैमिली से मिलती है जो घर में बोला जाता है बच्चा वही से सीखता है
जब तक मुझे भी पहाड़ी बोलनी नहीं आती थी तब तक बहुत मुश्किल होता था इसे समझना
पर मै चाहती हूँ अब अगर किसी को भी पहाड़ी सीखनी हो तो मुश्किल न हो इसीलिए मैंने ये ब्लॉग पेज बनाया है Iआशा करती हूँ जो भी यह ब्लॉग पढ़े उसको जरूर फायदा हो
पहले देखते है कुछ शब्द जो हिंदी और पहाड़ी में कैसे बोले जाते है
हिंदी कहाँ जा रहे हो
पहाड़ी कुति चलि / चलिया
हिंदी कब आओगे
पहाड़ी कडियाडी आओना
हिंदी दोपेहर को हल्का फुल्का खाना हो तो
पहाड़ी टुकड़ु खाई लो / टुकड़ु खाई लैंदे
हिंदी खाना खा लिया क्या ?
पहाड़ी खाई बैठे रोटी
हिंदी छत पर है
पहाड़ी बुन ऐ (छत को पहाड़ी में बन कहते है )
हिंदी छोटा बच्चा जब चलना सीखता है हम कहते है ( चलो बेटे चलो चलो )
पहाड़ी पहाड़ी में इसे हंडना कहते है ( हंडी पाओ हंडी पाओ )
हिंदी तुम्हारा नाम क्या है
पहाड़ी की नो आ तेरा
हिंदी मेरा नाम वसुंधरा है
पहाड़ी
हिंदी कैसी हो वसुंधरा
पहाड़ी केहड़ी ए वसुंधरा
हिंदी मैं अच्छी हूँ तुम कैसे हो
पहाड़ी बांकी ए तुआ सुनाओ अपना
हिंदी परिवार में बाकी सब लोग कैसे है
पहाड़ी घरा सब केहड़े
हिंदी वो सब ठीक है
पहाड़ी ओ ठीक आ सब
हिंदी आजकल क्या कर रही हो
पहाड़ी
हिंदी मैं स्कूल में पढ़ा रही हूँ
पहाड़ी
हिंदी तुम कहाँ रहती हो
पहाड़ी
हिंदी मैं हमीरपुर में रहती हूँ
पहाड़ी
हिंदी मुझे तुम लोगो की बहुत याद आती है
पहाड़ी मिंजो बुरी लगी तुआ दी (याद आना को पहाड़ी में बुरी लगना कहते है)